ये हि संस्पर्शजा भोगा दु:खयोनय एव ते |
आद्यन्तवन्त: कौन्तेय न तेषु रमते बुध: || 22||
ye hi sansparśha-jā bhogā duḥkha-yonaya eva te
ādyantavantaḥ kaunteya na teṣhu ramate budhaḥ
The pleasures that arise from contact with the sense objects, though appearing as enjoyable to worldly-minded people, are actually a source of misery. O son of Kunti, such pleasures have a beginning and an end, and so the wise do not delight in them.
शक्नोतीहैव य: सोढुं प्राक्शरीरविमोक्षणात् |
कामक्रोधोद्भवं वेगं स युक्त: स सुखी नर: || 23||
śhaknotīhaiva yaḥ soḍhuṁ prāk śharīra-vimokṣhaṇāt
kāma-krodhodbhavaṁ vegaṁ sa yuktaḥ sa sukhī naraḥ
Those persons are yogis, who before giving up the body are able to check the forces of desire and anger; and they alone are happy.
योऽन्त:सुखोऽन्तरारामस्तथान्तज्र्योतिरेव य: ।
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति ।। 24।।
yo ‘ntaḥ-sukho ‘ntar-ārāmas tathāntar-jyotir eva yaḥ
sa yogī brahma-nirvāṇaṁ brahma-bhūto ‘dhigachchhati
Those who are happy within themselves, enjoying the delight of God within, and are illumined by the inner light, such yogis are united with the Lord and are liberated from material existence.
दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! जय श्री राम!
हर दीपावली पर एक प्रश्न सामने आ खड़ा होता है – क्या हमें पठाके जलाने चाहिए?
कुछ सालो से हम सब को बोला गया है के पठाके पर्यावरण के लिए हानिकारक होते है। हमें महसूस कराया जाता है के हम कुछ गलत कार्य कर रहे है। मैं पूछना चाहता हूँ – क्या कृषियों के फसल जलाने से पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचती है? या कार बस इत्यादि से पर्यावरण दूषित नहीं होती? फिर एक दिन क्यू चुना जाता है पर्यावरण की चिंता करने के लिए? बच्चपन में हम सब ने खूब आनंद लिया दिवाली पे पठाके जलाके, फ़ीर क्यू हम अपने आने वाले पीढ़ियों को इस आनंद से वंचित कर रहे है? क्या एक ही दिन पर्याप्त है विश्व से प्रदूषण मिटाने के लिए?
यहाँ दुबई में हम आतिशबाजी का आनंद उठाते है, अमेरिका में भी, लंदन में भी, लगभग सभी देशों में, और यह कैसा व्यंग है के भारतवर्ष में ही पठाको पे प्रतिबंध लगा हुआ है?
आओ, दीपावली के शुभ अवसर पे हम यह प्रण ले – हम पर्यावरण को बचाने के लिए और बहुत उपायों का प्रयोग करे, पर अपने बच्चों को इस आनंद से वंचित ना करे।दीपवाली पे लक्ष्मी पूजा, मिठाइयों का एवं नए कपड़े व उपहारों का जितना महत्व है, फुलज़ारीयों का और आतिशबाजी का भी उतना ही महत्व है। खुलके मनाओ, आनंद फैलाओ, और मुस्कुराओ, क्यूँकि आज का दिन आनंद का दिन है।
हैपी दीपवाली!