Tirukkural – On virtue
மனத்துக்கண் மாசிலன் ஆதல் அனைத்தறன்ஆகுல நீர பிற. Manaththukkan Maasilan Aadhal AnaiththuAranAakula Neera Pira (34) A mind free of impurity, is the basis of all virtue. Everything else is empty show. यत् कृतं शुद्धमनसा स धर्म इति कथ्यते ।हच्छुद्धिरहितं कर्म केवलाडम्बरार्थकम् ॥ (३४) मन का होना मल रहित, इतना ही है धर्म ।बाकी सब केवल रहे, ठाट-बाट …